श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को शायंकाल शीतकाल हेतु बंद हो रहे है।इसी क्रम में मंगलवार से पंच पूजायें शुरू हो गयी हैं पहले दिन श्री गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद शाम को गणेश जी के कपाट बंद हुए।
आज बुद्ववार ् अपराह्न दो बजे आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद हो गये साथ ही आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी शीतकाल हेतु बंद हो गये।
आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने से पहले मंदिर की साफ सफाई की गयी उसके पश्चात बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने आदि केदारेश्वर स्यंभू शिवलिंग को पके चावलों से ढ्ककर समाधि पूजा का समापन किया धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेदपाठी रविंद्र भट्ट ने समाधि पूजा में सहयोग किया।
उसके पश्चात आदिकेदारेश्वर शिवलिंग को समाधि रूप देकर भस्म एवं फूलों से ढ़का गया तथा पुजारी सोनू भट्ट तथा विशेश्वर प्रसाद डंगवाल ने कपाट बंद किये इसी तरह आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर में आदिगुरू शंकराचार्य जी की मूर्ति को निर्वाण रूप में पूजा अर्चना की गयी उसके पश्चात अपराह्न दो बजे कपाट बंद किये गये।
इस अवसर पर श्री बदरीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी)अध्यक्ष अजेंद्र अजय बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी, मीडिया प्रभारी हरीश गौड़, पीआरडी प्लाटून कंमांडर बलवंत राणा विकास सनवाल दर्शन कोटवाल, राजश नंबूदरी,बाबा श्याम, बाबा पदमनाभ आदि मौजूद रहे।
बृहस्पतिवार को खड्ग पुस्तक पूजा के बाद वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जायेगा जबकि शुक्रवार 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा होगी।
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